असली ख़ुशी किस में है?( बी.के. शिवानी)
कौन सी ऐसी बात है जो हमारी ख़ुशी को हमसे छीन लेती है या हम खुश नहीं रह पाते हैं। सबसे बड़ी बात है past के एक्सपीरियंस. पास्ट जिसे हमने पकड़ के रखा हुआ था, ख़ुशी को अफैक्ट कर रहा था। जब हमने उसे छोड़ दिया या जब उसे प्रेजेंट नहीं बनने दिया तो हम अपनी ख़ुशी के फिरसे मालिक बन जाते हैं।
पास्ट की तरह हम फ्यूचर में भी बहुत ज्यादा जीते हैं क्योंकि कहीं न कहीं ख़ुशी को हम फ्यूचर में ढूंढते हैं। हम हमेशा ये सोचते हैं की जब सब कुछ मेरे तरीके से होगा या मुझे ये मिल जाएगा तब मैं खुश होउंगी। और जब हम ऐसा सोचते हैं तो एक थोट ऐसा भी आता है की अगर ऐसा नहीं हुआ तो? मुझे वो चीज़ नहीं मिली तो ?!! ये सिर्फ डर है। जब हमारी ख़ुशी किसी चीज़ पे डिपैंड करती है तो डर अपने आप आ जाता है। हम कितनी भी कोशिश करलें पर डर आ ही जाएगा। और ख़ुशी और डर कभी भी एक साथ नहीं हो सकते। हमें नौकरी छूटने का डर रहता है, पैसे छीन जाने का डर रहता है, परिवार के सदस्य को खोने का डर रहता है और सबसे ज्यादा डर इस चीज़ का होता है कि मुझे कुछ हो न जाए।
पास्ट की तरह हम फ्यूचर में भी बहुत ज्यादा जीते हैं क्योंकि कहीं न कहीं ख़ुशी को हम फ्यूचर में ढूंढते हैं। हम हमेशा ये सोचते हैं की जब सब कुछ मेरे तरीके से होगा या मुझे ये मिल जाएगा तब मैं खुश होउंगी। और जब हम ऐसा सोचते हैं तो एक थोट ऐसा भी आता है की अगर ऐसा नहीं हुआ तो? मुझे वो चीज़ नहीं मिली तो ?!! ये सिर्फ डर है। जब हमारी ख़ुशी किसी चीज़ पे डिपैंड करती है तो डर अपने आप आ जाता है। हम कितनी भी कोशिश करलें पर डर आ ही जाएगा। और ख़ुशी और डर कभी भी एक साथ नहीं हो सकते। हमें नौकरी छूटने का डर रहता है, पैसे छीन जाने का डर रहता है, परिवार के सदस्य को खोने का डर रहता है और सबसे ज्यादा डर इस चीज़ का होता है कि मुझे कुछ हो न जाए।
हम सब को ये पता है की जो कुछ हमारे पास है एक न एक दिन जाना ही है लेकिन उनसे सुख लेने की बजाय हम पहले से अनुमान लगाके डर में जीना शुरू कर देते हैं। लेकिन ख़ुशी चीज़ों में नहीं है, वो हमारे अंदर है।
जो लोग बहुत चिंता करते हैं वो किसके बारे में सोच रहे होते है ? फ्यूचर के बारे में। सिर्फ एक दिन बैठ कर जांच करना हम आने वाले टाइम के बारे में एक ईमेज बना लेते हैं और जब वो ईमेज अच्छी नहीं होती तब चिंता होने लगती है। चिंता मतलब कुछ बुरा होने वाला है या गड़बड़ होने वाली है। ये विचार नहीं आएगा की कुछ अच्छा होने वाला है। और इसी से हमारी ख़ुशी गायब हो जाती है। हम डर में जीने लगते है।
ज़्यादा सोचने वाला व्यक्ति शरीर से यहां होता है लेकिन मन से आने वाले कल में, जिसे हम कहते हैं की ये तो ख्वाबों में जीता है। अब सवाल उठता है कि ख्वाबों में क्यों रहते हैं? क्योंकि हमके आज (प्रेजेंट) पसंद नहीं। और हम अंदर डर में, दर्द में होते हैं लेकिन उसपे काम करके उसका सोल्यूशन नहीं निकालते बल्कि बाहार की चीज़ों में खुशियां ढूंढने की कोशिश करते हैं जैसे टीवी देख के,फोन में, खाने में। पर इससे होता क्या है थोड़ी देर के लिए तो हम खुश हो जाते हैं पर जैसे ही टीवी बंद होता है या खाना ख़त्म होता है फिर से वो डर, चिंता आ जाती है।
भविष्य के बारे में बहुत ज़्यादा सपने देखना, प्रेजेंट से भागना है। मेरे वश में बस प्रेजेंट है।
ये जो फ्यूचर की चिंता करने की आदत है, उससे हम प्रेजेंट में भी डर से जीते हैं। इससे हमारी बहुत एनर्जी वेस्ट हो जाती है और हमारा प्रेजेंट में बीतता है।
राजयोग हमें यह बताता है कि बाहर की कोई भी चीज़ हमें ख़ुशी नहीं दे सकती। मुझे बाहर से कुछ भी नहीं चाहिए जिससे मैं फुलफिल हो जाऊ। मैं सदा संपन्न हूँ, सम्पूर्ण हूँ,भरपूर हूँ और सुंदर हूँ। इसे लाइफ में साथ लेकर चलना है। जैसे ही थोट आये कि ये होगा तो मुझे अच्छा नहीं लगेगा , विचार करें कि मुझे पहले से अच्छा लग रहा है। हाँ,ये हो तो बहुत अच्छा है लेकिन मेरी ख़ुशी इस पर डिपैंड नहीं करती। एक दिन इसको करके देखो। आप अचानक बहुत हल्का फील करोगे।
थैंक यू फोर रीडिंग दीस पोस्ट।अगर आपको अच्छी लगे तो दुसरो को भी ख़ुशी का असली मतलब समझाएं और शेयर करें।
यह भी पढ़ें:
Inspired 🤗
ReplyDeleteMy pleasure. Stay tuned😊
DeleteSource of inspiration🙏🚩
ReplyDeleteThank u..if you like it do share it.
DeleteInspired
ReplyDeleteInspired
ReplyDeletePost a Comment